कवि भास्कर सिंह माणिक कोंच जी द्वारा रचना “सैनिक"

मंच को नमन

           सैनिक
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सैनिक के ध्यान पर
प्रणाम बलिदान पर

वतन की आन पर
वतन की शान पर
कुर्बान  है  सैनिक
वतन की वान पर

दें  जां  उद्यान  पर
वतन की आन पर

हटते   नहीं  कभी
रुकते  नहीं  कभी
बहादुर     सैनिक
झुकते नहीं  कभी

वीर  लड़े  मान पर।
वतन की आन पर।।

अंबर  करे  सलाम
चंद्र   सूर्य   प्रणाम
झुककर  करें  शत्रु
रण   में  राम  राम

गर्व जन  गान  पर।
वतन की आन पर।।

करते   रक्षा   मेरी
कभी  करें  न देरी
बहादुर      सैनिक
माणिक  जां  मेरी

खड़े स्वाभिमान पर।
वतन  की  आन पर।।
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मैं घोषणा करता हूं कि यह रचना मौलिक स्वरचित है।
            भास्कर सिंह माणिक, कोंच

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