कवि डॉ. राजेश कुमार जैन जी द्वारा रचना “दिखावा"

सादर समीक्षार्थ
 विषय   -            दिखावा
 विधा       -          कविता


 दिखावे के फेर में न पड़
 न किसी की हँसी उड़ा 
ईश्वर की महिमा से डर 
सभी का तू कल्याण कर ..।।

चार दिन की जिंदगी है
 दिखावा किस बात का 
सुख दुख का खेला ही है
 भाग्य फिर अपना सबका..।।

 दिखावा करते हैं अज्ञानी
 ज्ञान उनको सिखलाइए
 नहीं करो तुम यह नादानी
 सत्य उनको  बतलाइए..।।

 आओ करें हम प्रण अभी
 दिखावा न  करेंगे कभी
 जिएंगे सत्य के लिए सभी
 असत्य दूर करेंगे हम भी..।।


 डॉ. राजेश कुमार जैन
 श्रीनगर गढ़वाल
 उत्तराखंड

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