कवयित्री नीलम डिमरी जी द्वारा सुप्रभात लेखन

नमन वीणा वादिनी

दिनांक--05/10/2020
दिवस --सोमवार

        **सुप्रभात लेखन**
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अपने सपनों को यूं
जंजीर से ना बांधो
उड़ने दो इन्हें
खुले आसमान में।
कौन बच पाया है इन जंजीरों से
छल करते हर काल में
अच्छाई की जंजीर अपनाओ
बुराई का भाला फेंक दो
हंसो और हंसाओ जग को
इंसान हो नेक बनो।

       स्वरचित--- नीलम डिमरी
        चमोली,,,, गोपेश्वर

   

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