सतीश लाखोटिया जी द्वरा बेहतरीन रचना#

*माँ कालरात्रि*
*का*   क्रोधित रूप देखकर आपका
     लगता हमें डर
      पढ़ा  ग्रंथों में हमने
    आपकी इस छवि को
     भक्ति भाव से
      स्मरण करनेवाले पर
      होता शुभ ही शुभ असर 

 *ल*   लक्ष्य हमारा एक ही
         मुश्किलें हो हमारी कम
      चलते रहे कर्म पथ पर
   नाम लेकर आपका हरदम

*रा*   राह हमारी
          नहीं इतनी आसान
        मचा रखा है दिल में
         कोरोना ने तूफान
  
*त्रि*   त्रिभुवन की स्वामिनी 
     दया दृष्टि रखो हम पर
    विनती आपसे बस इतनी
   इस वैश्विक महामारी का
    करो कुछ उपाय
    जन-जन बेसब्री से
.   कर रहा इंतजार
  यही कहने को
   बहुजन हिताय - बहुजन सुखाय

     सतीश लाखोटिया
     नागपुर, महाराष्ट्र

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ