*महात्मा गांधी*
ताकत अनशन की दिखाई ,
लाठी वाले ने।
आज़ादी अहिंसा से दिलाई,
लाठी वाले ने।
लाला ,लाल,लाल, बाल, पाल थे। लेकर भाल ,ढाल चाल चाल थे।
था कारवां विशाल,
निहत्ते ठोकते वो ताल थे ।
आने ना दी आंच मुल्क पे,
चोट खुद खाई,
लाठी वाले ने।//
सत्याग्रह,स्वदेशी,असहयोग की,
बात अलग थी सविनय अवज्ञा
दांडी योग की।
प्रेम अलख जगाकर हरिजन
संयोग की।
तोड़ी थी कमर छुआ छूत के।
रोग की।
किए अमर पोरबंदर, करम चंद,पुतली बाई।
लाठी वाले ने।///
राजकोट इंग्लैंड में शिक्षा पाई ,
हृदय की भाषा हिन्दी अपनाई,
आत्म निर्भर स्वदेशी के लिए,
चरखे से की कताई।
अंग्रेजों का किया सफाया,
किस्मत साबर मती की चमकाई,
लाठी वाले ने।///
तीन बंदरों से पाठ जीवन का पढ़ाया।
थी सादा जीवन उच्च विचार की माया।
अपना बनाया सीने से लगाया सानिध्य में जो भी आया।
बिन अस्त्र शस्त्र लड़ी,
आज़ादी की लड़ाई।
लाठी वाले ने।।।///
हिन्दी हो राष्ट्र भाषा ये अभिलाषा थी।
राम राज्य सदभाव की जिज्ञासा थी।
स्वराज्य हिन्द पाक की आशा थी।
गांधी ही नहीं गोड़से ने राष्ट्र की हत्या की।
छकाया सबको कभी, ना लाठी चलाई,
लाठी वाले ने।।।////
तीन बंदरों से पाठ जीवन का पढ़ाया,
मौलिक
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