रचनाकारा शशिलता पाण्डेय द्वारा 'गोवर्धन पूजा' विषय पर रचना

गोवर्धन पूजा
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कार्तिक शुक्लपक्ष की प्रतिपदा को,
हिंदुओ का त्योहार है ये गोवर्धनपूजा।
दीवाली के दूसरे दिन मनाते इस पर्व को,
अन्नकूट,गोधन भी नाम इसका दूजा।
भाइयों की मंगलकामना हेतु करते इस व्रत को,
उकेर चित्र आँगन गोवर्धन पर्वत की पूजा।
एक कहानी सुनी पुरानी गोवर्धनपूजा की,
भगवान श्री कृष्ण ने इंद्र का तोड़ा अहंकार।
लोंगों से करवाई पूजा पर्वत गोवर्धन की,
देवराज हो आक्रोशित मेघ बरसाएं मूसलाधार।
श्रीकृष्ण ने कनिष्ठा उंगली से उठाया पर्वत को,
गोवर्धन पर्वत के नीचे लोंगों ने जान बचाई आकर।
ये पूजा और व्रत समर्पित भगवान कृष्ण को,
नगरवासियों ने छप्पन भोग लगाएं खुश होकर,
तभी से आरंभ हुई अन्नकूट गोवर्धन पूजा की ।
धरती पर सबसे बड़ा वही हुआ करे जो परोपकार,
पूजा भी होती भगवान की जो करता रक्षा सबकी।
पशुओं का भी पेट भरता गोवर्धन पर्वत चारा देकर,
गो-धन की रक्षा करनेवाला गोवर्धन की होती पूजा।
गायें भी अपना दूध करती अर्पित कर परोपकार,
जो किसी की रक्षा करे वही तो कहलाये भगवान।
इसलिए गायों की भी पूजा किया करता संसार,
गोवर्धन पूजा में महत्व गायों की पूजा अर्चना का।
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स्वरचित और मौलिक
सर्वधिकार सुरक्षित
रचनाकारा:-शशिलता पाण्डेय
बलिया:-उत्तर प्रदेश

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