बदलाव मंच अंतरराष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय
कविता
शीर्षक - माँ
माँ
जब मैं रहता था ,एक छोटे से गाँव में।
तब चप्पल भी नहीं होते थे,मेरे पाँवो में।
लेकिन हरपल होती थी ,मेरी माँ निगाहों में।
देख सिसकता भर लेती थी ,अपनी बाहों में।
दूर हो जाते सारे गम, उसकी आँचल की छाँव में।
फूल बिछा देती थी माँ, हमेशा मेरी रहो में।
निश्चिंत होकर खेलता था,मैं गली चौराहों में।
मेरी खुशी माँगती थी माँ,अपनी हर दुआओं में।
जाने कितनी बार जागी,मेरे लिए रातों में।
मेरा पूरा भविष्य था माँ,आपकी हाथों में।
सदा रखना माँ मुझे, अपनी पनाहो में।
दम घुटता है आज भी,आपकी अभावों में।
सदा साथ दिया मेरा,सही-गलत के चुनावों में।
हे ईश्वर!मुझे कभी गिराना मत, माँ की निगाहों में।
नारायण प्रसाद
ग्राम - आगेसरा (अरकार)
जिला- दुर्ग छत्तीसगढ़
(मौलिक एवं स्वरचित रचना)
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