सादर समीक्षार्थ
विषय -- भाईदूज
विधा - कविता
भाईदूज के पावन पर्व पर
भैया मेरे घर आना जरूर
चाहे कुछ भी लेकर मतआना
रिश्ता सदा ही बनाए रखना..।।
यह रिश्ता है सबसे ही प्यारा
धूमिल इसको तो कभी न करना
प्रीत का दीप जलाए तुम रखना
कभी न इसको तुम बुझने देना..।।
जग की है यह रीत अति पुरानी
तुम इसको सदा बनाए रखना
भाभी बच्चों को तो लेकर तुम
मेरे घर भी आते ही रहना..।।
जीवन की किसी भी घड़ी में
रिश्तों की कभी नैय्या न डूबे
विश्वास की ये डोर न टूटे
मन में कभी कड़वाहट न आए..।।
रोली अक्षत से थाली सजा कर
मैं तो तुम्हारी राह तकुंगी
निराश न कभी मुझको करना
मन की यह आस बनाये रखना ..।।
डॉ. राजेश कुमार जैन
श्रीनगर गढ़वाल
उत्तराखंड
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