डॉ. भावना एन. सावलिया राजकोट गुजरात जी द्वारा खूबसूरत रचना#

राष्ट्रीय व अंतराष्ट्रीय बदलाव मंच साप्ताहिक प्रतियोगिता
दिनांक : १२/११/२०२०
विषय : दीपोत्सव
 शीर्षक : दीप-संदेश
दीपक जलता रात-दिन,जग में करें उजास ।
जले नि:स्वार्थ भाव से, जन मन में उल्लास ।।

दीपक जलता स्नेह से, परहित का है भाव ।
दूर तमस को वह करे, मिले प्रेम समभाव ।।

त्याग अनूठा दीप का , आत्मा का समर्पण ।
हो जाता खाक जलकर, प्रकाश करे अर्पण ।।

पीकर जग के तमस को, करे ज्योति का दान ।
जलते मंगल भाव से, उदात्त है बलिदान ।

अनुपम पुँज है तेज का, अरु श्रद्धा की ज्योति ।
पूजन मंगल कर्म का, दीपक जीवन ज्योति ।।

दीपक नूतन-चेतना,नूतन फल की आस ।
मन का अंधकार मिटे, चारों ओर उजास ।।

दीप आँख की ज्योत है, उर की निर्मल धार ।द्वेष-भाव का त्याग है, महके दिल मधु प्यार ।।

दीवाली की शान है, जगमग जगमग दीप ।
वह अमास की रात का , है ऊर्जा संदीप ।।

तन-मन की खुशियाँ लिए,आलोकित वह दीप ।
तम मिटाए जीवन का, पावन आत्म प्रदीप ।।

भटकों की  वह राह है, दीप शिखा है आन ।
जीवन में अस्तित्व की, जग में है पहचान ।।

प्रेम-समर्पण-त्याग है,दीपक का संदेश ।
जलने का परमार्थ है, प्रेम दीप उपदेश ।।

डॉ. भावना एन. सावलिया राजकोट गुजरात

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