प्रवीण डी• पण्डयाॅ जी द्वारा खूबसूरत रचना#

**नमन मंच**
**दिनांक -12/11/ 2020**
**राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय 'बदलाव मंच' साप्ताहिक प्रतियोगिता**
**विषय - एक दीया दिवाली का**
**विधा - कविता**
 ---------------------------
एक दीया दिवाली का बाकी है।
गरीब - बेसहारा का सहारा बाकी है।
मस्ती का आलम खुशियाँ बाकी है ।
पडौस मे खुशियों का सैलाब बाकी है।

कई आए कई गए गरीब का प्रेम बाकी है।
पल पल सोचता दिये बिकेंगे मिठाई लेना बाकी है ।
घर मे सब उसका इन्तजार करते है,
वो खुशियाँ बाकी है।

सोचता है इस इस दिवाली का बन्द  तौहफा बाकी है।

मन मे उत्कंठा, तडप है , अभी शाम होना बाकी है।

जी तोड मेहनत करता, अभी दिये बेचना बाकी है।

सब खरीदो जरुरतमंद के, उसे बंधाई देना बाकी है।

  ~ कवि रचनाकार ~
*प्रवीण डी• पण्डयाॅ*
   डूंगरपुर राजस्थान

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ