**नमन मंच**
**दिनांक -12/11/ 2020**
**राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय 'बदलाव मंच' साप्ताहिक प्रतियोगिता**
**विषय - एक दीया दिवाली का**
**विधा - कविता**
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एक दीया दिवाली का बाकी है।
गरीब - बेसहारा का सहारा बाकी है।
मस्ती का आलम खुशियाँ बाकी है ।
पडौस मे खुशियों का सैलाब बाकी है।
कई आए कई गए गरीब का प्रेम बाकी है।
पल पल सोचता दिये बिकेंगे मिठाई लेना बाकी है ।
घर मे सब उसका इन्तजार करते है,
वो खुशियाँ बाकी है।
सोचता है इस इस दिवाली का बन्द तौहफा बाकी है।
मन मे उत्कंठा, तडप है , अभी शाम होना बाकी है।
जी तोड मेहनत करता, अभी दिये बेचना बाकी है।
सब खरीदो जरुरतमंद के, उसे बंधाई देना बाकी है।
~ कवि रचनाकार ~
*प्रवीण डी• पण्डयाॅ*
डूंगरपुर राजस्थान
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