कवि स्वप्निल जैन द्वारा 'पुरुषार्थ' विषय पर रचना

बदलाव मंच अंतराष्ट्रीय व राष्ट्रीय को सादर नमन।

स्वरचित रचना:- पुरुषार्थ।
दिनांक:- 01/12/2020
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कब तक हाथ धरोगे सर पर
भाग्य हाथ ना आयेगा।
जो मेहनत की कद्र करेगा
भाग्य-सुख को पायेगा।

बिना पुरुषार्थ ना राम बने
ना कृष्ण भी देव कहाये।
अन्याय का अंत किया 
अपना पुरुषार्थ दिखाये।

राम भाग्य को सर पर रख बैठते
तो सीता ना अयोध्या बापस आती।
कंश भी फिरता धूम मचाता
और गीता भी कहाँ से रचती।

बैठे बैठे क्या पेट भरेगा 
हाथ ना जब उठने पाये।
भले भरी थाल हो रखी सामने
खुद से मुंह में ग्रास नही जाये।

अन्न कहाँ से पैदा होगा
जब धरती पर न चलेगा हल।
बिना पुरुषार्थ बस भाग्य भरोसे
नही मिलेगा फल।

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स्वप्निल जैन(छिन्दवाड़ा)
स्वरचित रचना:- पुरुषार्थ।
दिनांक:- 01/12/2020

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