सादर समीक्षार्थ
बदलाव मंच विशेष एक दिवसीय प्रतियोगिता
विषय -आत्मनिर्भर भारत की उड़ान
विज्ञान एवं तकनीक में योगदान
धर्म और आस्था का संसार
मिला भारत को अद्भुत सम्मान
शून्य का हमने मान बतलाया दुनिया को पढ़ना था सिखलाया..।।
भटके हुओं को मार्ग दिखलाया
नक्षत्रों का हमने ज्ञान कराया
गागर में सागर भर कर हमने
शिक्षा को भी था सम्मान दिलाया ..।।
संजय महलों में बैठ युद्ध का
पूरा हाल सुनाया करते थे
शब्द भेदी वाणों से चौहान
सुल्तानों को मार गिराते थे..।।
तुर्क यूनानी घुटनों चलते थे
हम वायु यान उड़ाया करते थे
ब्रह्मास्त्र पाशुपतास्त्रों से तब
अक्षोहिणी विध्वंसित करते थे ..।।
सानी न था दुनिया में हमारा
जनहित की खातिर ही जीते थे
दधीची जैसे महापुरुष तो
जनहित जीवन अर्पित कर देते थे..।।
डॉ. राजेश कुमार जैन
श्रीनगर गढ़वाल
उत्तराखंड
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