कवयित्री इंजी शालिनी चितलांगिया"सौरभ" द्वारा 'माटी के सपूत' विषय पर रचना

बदलाव मंच(अंतरराष्ट्रीय एवम राष्ट्रीय)
साप्ताहिक प्रतियोगिता(1 से 7 दिसंबर)
विषय-किसान-माटी के सपूत
विधा-कविता

अन्न बचाओ,
अन्न उगाओ, 
किसान की मेहनत करना मान बढ़ाओ ...

छः महीने की कड़ी मेहनत का है यह फल..
अन्न से ही आज है अन्न से ही कल ..
व्यर्थ गंवा कर इसका ना करो अपमान..
मिल बांट कर खाओ और बनो सच्चे इंसान ...

अन्न उगाओ 
अन्न बचाओ 
किसान की मेहनत का मान बढ़ाओ ....

धरती मां की गोद को जो सिंचित करता है..
धूप ,बारिश ,आंधी में भी मेहनत करता है ...
हरिहर चुनर उड़ा कर श्रृंगार करता है ...
सारे विश्व का भरण-पोषण करता है ....

अन्न उगाओ
अन्न बचाओ 
किसान की मेहनत का मान बढ़ाओ ....

अन्नपूर्णा माता का ये सपूत है...
अन्न उगाने से इसके प्राणी जीवित है ...
तीज-त्यौहार की रौनक और छप्पन पकवान इनसे है ..
धानी चुनर ओढ़े प्रकृति ,खेत खलिहान इनसे है....
 
अन्न बचाओ 
अन्न उगाओ 
किसान की मेहनत का मान बढ़ाओ ....

अन्न का हर एक दाना है ईश्वर का प्रसाद..
पक्षियों ,जानवरों को भी खिलाओ ना करो इसे बर्बाद.. 
किसान भाइयों आपको करते हम सब नमन..
फले-फूले आप सब और लहलहाए हमारा चमन....

अन्न बचाओ 
अन्न उगाओ
किसान की मेहनत का मान बढ़ाओ ..
अन्न बचाओ
अन्न उगाओ
किसान की मेहनत का मान बढ़ाओ....

नाम -इंजी शालिनी चितलांगिया"सौरभ"
राजनांदगांव
छत्तीसगढ़

नोट-ये रचना मेरी मौलिक रचना है।

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