रंजना वर्मा उन्मुक्त जी अद्वितीय रचना#नया साल#

*नया साल*
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बाहें पसार नया साल बुला रहा ।
जाने से मगर यह दिल घबरा रहा।
एहसास 2020 का था बड़ा खराब ,
इसलिए कदम आगे नहीं बढ़ा रहा।

पूरे साल कोरोना का खौफ था।
चारो तरफ दिख रहा निर्मम मौत था।
इंसान को इंसान से किया दूर ,
2020 बना हमारा एक सौत था ।

कई लोग दूर हमसे चले गए ।
यादें दिल में छोड़ कर चले गए।
बिछड़े सारे मिल जाए इस वर्ष ,
बहुत दिन दूर जो हमसे रह गए ।

नया साल कर देना जीना आसान ।
करोना का ना रखना नामोनिशान ।
खुशियां मिलकर मनाए अब हम सभी,
खिल उठे यह जमीन और यह आसमान।

            *रंजना वर्मा उन्मुक्त*
              ©️®️

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