रमेश बोंगाले बी एन जी द्वारा खूबसूरत रचना#

राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय बदलाव मंच 
काव्य प्रतियोगिता 
दिनांक - 29/दिसंबर /2020
क्या दें नव वर्ष का संदेश ?

क्या दें नव वर्ष का संदेश ? रहे हम मानव मात्र।
फिरभी प्रयासों द्वारा खींचे शुभकामना का चित्र।।

प्रकृति की गोद रहे सर्वदा सदाबहार।
तभी तो चलेगा सकुशल जीवन व्यापार।।

सुविचार को आंतर्य में तथा उतारकर।
उन्हीं पर निर्भर क्यों न हो सुव्यवहार ?

दृष्टि -सी -सृष्टि - वाली बात अपनाकर।
चल पड़ेंगे तो ही कटता, यश की डगर।।

औरों के लिए पूरक- प्रेरक बनकर।
जाना है साधना का नाम छोड़कर।।

एक- से- एक को सीख मिलती लगातार।
उम्र तो कटती है, पर चढ़े नेकी का शिखर।।

मान -सम्मान फैले पड़े हैं सर्वत्र।
उन्हें पाने की योग्यता भी हो एकत्र।।

मन -बुद्धि -विवेक- विवेचना का सार।
सही मात्रा में हो तो दूर, कोई भी कहर।।

गत वर्ष की अपेक्षा आगत में हो सुधार।
यत्र यत्र खुशहाली का लहराए स्वर।।

धन-धान-संपदा से भी बढ़कर।
स्वास्थ्य - प्राण फिलहाल हो बंधुर।।

रमेश बोंगाले बी एन 
चिकमगलूर

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