कल्पना गुप्ता /रत्न जी द्वारा खूबसूरत रचना#

फूल पत्तियों से जाकर जब पूछा हमने
2020 में किया महसूस क्या क्या तुमने।

रंग बिरंगी थी यह गुलिस्तान की चादर
फिर भी तितलियों की कमी सही हमने।

खुशबू से महका हुआ था हमारा गुलसितां
मास्क से  मुंह  छुपाते  सबको देखा हमने।

सुंदरता से था भरपूर रंगो से भरा हमारा चमन
फिर भी भंवरों से आंख चुराना सीखा हमने।

फूलों से भर के लाई गईं बहुत सारी टोकरियां
फिर भी रब को हमसे मुंह मोड़ते देखा हमने।

उसके दर  से  वापस मोड़े  गए जब भी हम
रंग बिखराके भी, मुस्कुराना छोड़ दिया हमने।


कल्पना गुप्ता /रत्न

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