अम्बिका झा जी द्वारा विषय होली पर अद्वितीय रचना#

रंग बिरंगे रंग भरी पिचकारी है 
गोपियन संग नाच रहे कृष्ण कन्हाई है
जिसे देख-देखकर  राधा,
सुध-बुधअपनी बिसराई है।

फिजा में फैली प्रीत मिश्रित
केसर, कुमकुम, गुलाल है।
सप्त रंग में रंगा है मन
पवन बहे पुरवाई है।।

कोयल मोर पपीहा के संग 
मनप्रीत तरंग बन छाई है।।
इंद्रधनुष के रंगों से हिलमिल 
ऋतु बसंत की आई है।।

मनमोहन चितचोर सजन के 
हाथों में पिचकारी है।।
तन मन पावन निर्मल हो कर
मन बज रही प्रीत की शहनाई है।।
                   अम्बिका झा

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