कलम की ध्वनि से
विषय __होली के बहाने
विधा__ _कविता
ओ मेरे साॅवरा, मैं तो तेरे प्यार में पागल हो गई।
तुम्हारे प्यार में दिल की, मेरी शुद्ध बुद्ध खो गई।।
अबकी होली में आना, फिर नहीं जाना श्याम।
तुझे देखे बिन मेरा देखो क्या हुआ हाल श्याम।।
पनघट पर जाऊॅ तो मैं तेरी ही राह निहारुॅ।
मुरली की धुन सुनने को जमुना के तट जाऊॅ।।
कभी तो अपनी राधा को, छोड़के तुम आओ श्याम।
कभी अपनी सखियों को अपने गले लगाओ श्याम।।
नैना तरसे,अखियाॅ बरसे अब नहीं तडपाओ श्याम।
होली के बहाने आप मेरे घर आ जाओ श्याम।।
- देवंती देवी
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