रुपक जी द्वारा अद्वितीय रचना#क्यों खुदा#

क्यों खुदा?..............
खुदा अब कभी भी तुमसे खुशी नहीं मांगेंगे
चाहे जीवन भर दर्द ही सहना पड़े तो सहेंगे

पल भर खुशी तो देता नहीं बदले गम देता है
रोकर गुजारना है जिंदगी तो रोकर गुजारेंगे

क्यों हाथ उठ जाता है खुशी मांगने के लिए?
जबकि पता है कभी वो खुशी नहीं मिलेंगे

ना क्यों झुक जाता है ये मस्तक तेरे दर पर?
जानते है खाली लौटते है, खाली ही लौटेंगे

किसी को देखकर जीने की इच्छा हो जाती है
रोते हुए दिन गुजरा है रोते ही जिंदगी गुजारेंगे

किसी की चाहत रुपक को मरने से डरा देती है
जबकि पता है एक दिल जरूर मौत पास आयेंगे
©रुपक

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