गीतापाण्डेय अपराजिता जी द्वारा#कुंडलियाँ#

कुंडलियाँ
शीर्षक होली
1  आज मचा हुडदंग है ,गांव गली सब ओर।
 डगर डगर में हो रहा, जनमानस का शोर।।
  जन मानस का शोर ,उछलते  कूदे सारे।
रंगों से सराबोर , नाचते सब हुलियारे।
है उजास की भोर, बजते सतरंगी साज।
 प्रीत प्यार का जोर, मना रहे होली आज।

2 होली के त्योहार में, खुशियां छाई अपार।
श्याम रंग राधा रंगी, मस्त मगन संसार।।
मस्त मगन संसार , बोलते सुंदर बोली।
 बांधे मन का तार, प्रीत भरते हमजोली।।
 मन में भर उल्लास, रही बच्चों की टोली।
  फागुन उत्सव मास, खेल रहे खूब  होली।।


गीतापाण्डेयअपराजिता रायबरेली उत्तर प्रदेश

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