भूपसिंह 'भारती', जी द्वारा विषय रानी लक्ष्मीबाई पर खूबसूरत रचना#कविता#

"शत शत नमन"
आओ आज सुनाए तुमको गाथा उस बलिदान की।
देश की आन बचाई थी लगाकर बाजी जान की।।

सन सत्तावन में आजादी की ये ज्वाला भड़की थी,
झांसी की सेनापति झलकारी की ये बांहे फड़की थी,
गोरों के संग झलकारी बिजली बण रण में कड़की थी,
रण में कूद पड़ी झलकारी रक्षा करने स्वाभिमान की।
 
बरछी भाले तीर चले चली खूब तलवारें थी,
हाहाकार मचा था रण में गूंज रही टँकारें थी,
कट कट मुंड गिरे धरती पर बही खून की धारे थी,
झलकारी ने गोरों के लहू से ये धरती लहूलुहान की।

राणी समझकर झलकारी को अंग्रेजों ने घेर लिया,
झलकारी ने रणकौशल से रिपु को रण में ढेर किया,
साहस और वीरता का झलकारी लंगर फेर दिया,
बरछी भाले तीर लिए थी गजब मार कृपाण की।

राणी लक्ष्मीबाई की सेनापति झलकारी थी,
जीते जी झांसी रक्षा की निभाई जिम्मेदारी थी,
रणचंडी बण लड़ी गजब की ली तलवार दोधारी थी,
शत शत नमन करे भारती गाथा गाकर कुर्बानी की।

  - भूपसिंह 'भारती', 
  आदर्श नगर नारनौल, हरियाणा।

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