विषय. बुद्ध जयंती
विधा. कुंडलियां छंद
गाते गुन गुणवान ही , महाबुद्ध के नित्य l
पंचशील को पालकर,रचते शुचि साहित्य ll
रचते शुचि साहित्य,आप सब पढ़ते रहिये l
श्रेष्ठ कर्म के साथ,देशहित दुख भी सहिये ll
कह 'ईश्वर' सुख शांति, प्रेम हैं वे सब पाते l
करके परहित काम,नाम जो प्रभु का गाते ll
स्वरचित, मौलिक तथा सर्वाधिकार सुरक्षित है।
ईश्वर चंद्र जायसवाल, गोंडा (उत्तर प्रदेश)
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