आधार - सगणात्मक दोहे चारों चरण में सगण
सृजन शीर्षक - तुलसी
तुलसी माता पूजिए , बनते सारे काम ।
मिलती खुशियाँ आपको , जग में मिलता नाम ।।
तुलसी पावन है सदा , महिमा अपरंपार ।
सबकी देवी है यही , सुनती सदा पुकार ।।
तुलसी पूजा जो करे , मिलती है पहचान ।
खिलती कलियाँ आस की , इतना लो तुम जान ।।
तुलसी विवाह जो करें , मिलता उनको चैन ।
विपदा सारी दूर हों , कटती उनकी रैन ।।
तुलसी सबकी शान है , पूरन करती आस ।
रहती तीनों लोक में , महिमा इनकी खास ।।
तुलसी माता तो सदा , हरती सबके पाप ।
उनको भी आशीष दे , जो करते हैं जाप ।।
तुलसी विवाह के सदा , खुलते सुख के द्वार ।
सबकी बाधा दूर हो , मिलती खुशी अपार ।।
डॉ. राजेश कुमार जैन
श्रीनगर गढ़वाल
उत्तराखंड
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