डॉ. राजेश कुमार जैन जी द्वारा विषय तुलसी पर विशेष रचना#


आधार  - सगणात्मक दोहे चारों चरण में सगण 
सृजन शीर्षक   -     तुलसी 



तुलसी  माता   पूजिए ,  बनते   सारे  काम । 
मिलती खुशियाँ आपको , जग में मिलता नाम  ।।

तुलसी पावन है सदा , महिमा अपरंपार  ।
सबकी देवी है यही , सुनती सदा पुकार  ।।

तुलसी  पूजा  जो  करे  ,  मिलती  है  पहचान  ।
खिलती कलियाँ आस की , इतना लो तुम जान  ।।

तुलसी विवाह जो करें , मिलता उनको चैन ।
विपदा  सारी  दूर हों ,  कटती  उनकी रैन  ।।

तुलसी सबकी शान है , पूरन करती आस ।
रहती तीनों लोक में , महिमा इनकी खास  ।।

तुलसी माता तो सदा , हरती सबके पाप  ।
उनको भी आशीष दे , जो करते हैं जाप ।। 

तुलसी विवाह के सदा , खुलते सुख के द्वार  ।
सबकी बाधा दूर हो ,  मिलती  खुशी अपार  ।।

डॉ. राजेश कुमार जैन 
श्रीनगर गढ़वाल 
उत्तराखंड

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